Mujhe Tum Nazar Se Gira Toh Rahe Ho

Masroor Anwar

मुझे तुम नज़र से गिरा तो रहे हो
मुझे तुम कभी भी भुला ना सकोगे
मुझे तुम नज़र से गिरा तो रहे हो
मुझे तुम कभी भी भुला ना सकोगे
न जाने मुझे क्यों यकीं हो चला है
मेरे प्यार को तुम मिटा ना सकोगे
मुझे तुम नज़र से

मेरी याद होगी जिधर जाओगे तुम
कभी नग़मा बन के कभी बन के आंसू
कभी नग़मा बन के कभी बन के आंसू
तड़पता मुझे हर तरफ़ पाओगे तुम
शमा जो जलायी मेरी वफ़ा ने
बुझाना भी चाहो बुझा ना सकोगे
मुझे तुम नज़र से

कभी नाम बातों में आया जो मेरा
तो बेचैन हो हो के दिल थाम लोगे
तो बेचैन हो हो के दिल थाम लोगे
निगाहों में छायेगा ग़म का अँधेरा
किसी ने जो पूछा सबब आंसुओं का
बताना भी चाहो बता ना सकोगे
मुझे तुम नज़र से गिरा तो रहे हो
मुझे तुम कभी भी भुला ना सकोगे
मुझे तुम नज़र से

Curiosités sur la chanson Mujhe Tum Nazar Se Gira Toh Rahe Ho de मेहदी हस्सान

Qui a composé la chanson “Mujhe Tum Nazar Se Gira Toh Rahe Ho” de मेहदी हस्सान?
La chanson “Mujhe Tum Nazar Se Gira Toh Rahe Ho” de मेहदी हस्सान a été composée par Masroor Anwar.

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