Uthi Umange Phir Sajni
I C Kapoor
उठी उमंगे फिर से सजनी नया ज़मना आ गया
उठी उमंगे फिर से सजनी नया ज़मना आ गया
मेरे मन मे कौन समाया
उठी उमंगे फिर से सजनी नया ज़मना आ गया
मेरे मन मे कौन समाया
मन मे है चित चोर तुम्हारे
चमक रहे आशा के तारे
मन मे है चित चोर तुम्हारे
चमक रहे आशा के तारे
मन मे है चित चोर तुम्हारे
चमक रहे आशा के तारे
पलभर मे कुदरत ने फिर से
बिगड़ा खेल बनाया आशा का दीप जलाया
उठी उमंगे फिर से सजनी नया ज़मना आ गया
मेरे मन मे कौन समाया
ना कहा है मन का पंछी
ना कहा है मन का पंछी
सारी दुनिया झूम रही है
सारी दुनिया झूम रही है
मस्त पवन ले ले अंगड़ाई
कलियो का मूह चूम रही हैं
मस्त पवन ले ले अंगड़ाई
कलियो का मूह चूम रही हैं
पतझड़ के दिन बीत चुके है
फिर से फागुन आया
मेरे मन मे कौन समाया
उठी उमंगे फिर से सजनी नया ज़मना आ गया
मेरे मन मे कौन समाया