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Tanzeel Khan

देखा चेहरा तेरा आज भी
लगता गहरा यह राज़ ही
सोचु तुझको मैं हर दफा
हर जगह हर जगह
मैं कह रहा हू यह बात ही
मेरे शामों की तू रात सी
सब यार है पर तू
ख़ास सी क्यूँ लगे
ढलने लगी है शाम भी
मैं नींद और तू खवाब सी
चाहता है दिल यह हर घड़ी
की तेरी बाहों में रहे
करती तू मुझपे जादूगरी
होती तू जब जब साथ खड़ी
दिल्ली की लड़की है
दिल में बसी वॉ हो
जन्नत से उतरी तू जैसे परी
नशे सी तू अब सर पे चढ़ी मेरे
दिल्ली की लड़की
तू दिल में बसी वॉ हो
पास बुलाए तेरी अदाएं
करके बेईमआनियाँ हा
रातों को जागे कोई ना जाने
क्या हुआ हुमारे दरमियाँ
तेरी आँखें तेरी बातें
ना है कोई खामियाँ
देखे तारे काफ़ी सारे
तुझ सा ना कोई मिला
ना है ढली यह रात भी
मैं क्यू चखू शराब भी
कर्दे मुझे खराब ही
यह तेरी आँखों के नशे ए
करती तू मुझपे जादूगरी जादूगरी
होती तू जब जब साथ खड़ी
दिल्ली की लड़की है
दिल में बसी वॉ हो
जन्नत से उतरी तू जैसे परी
नशे सी तू अब सर पे चढ़ी मेरे
दिल्ली की लड़की
तू दिल में बसी वॉ हो
जन्नत से उतरी तू जैसे परी
नशे सी तू अब सर छड़ी मेरे
दिल्ली की लड़की
तू दिल में बसी वॉ हो

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