Maanegi Kis Tarah
Rishikesh Pathak, Aasa Singh
रहा मैं ढूढ़ता यहाँ वहाँ
मिली मुझे जहाँ ना सोचा था
हुआ दीवाना मैं इस क़दर
की बातों में तेरी मेरी जान
खो गया, हो गया
तुझसे ही मैं पूरा
तू बना रास्ता
ना चाहिए कोई दूजा
आ ज़रा कह दे ना
और ना मुझको तू सता
जाने जान
मुझको ये बता
मानेगी किस तरह
सुनले तू ये ज़रा
आ भी जा एक दफा
हो गया मैं तेरा
मुझको ये बता
मानेगी किस तरह
अभी तो यहीं था
खो गया तू
ढूंढूं तुझे
जाने है कहाँ तू
जो तू ना मिला मुझे
मैं फिर से खो जाऊँगा
देखना चाहूँ
तुझको हर सुबह
खुश्बू तेरी
फैली इस फ़िज़ा में
दिखती क्यूँ नहीं
आँखों को ये बता दे
पहले ना कभी
दिल इतनी तेज़ धड़का था
जाने जा मुझको ये बता
मानेगी किस तरह
सुनले तू ये ज़रा
आ भी जा एक दफा
हो गया मैं तेरा
मुझको ये बता
मानेगी किस तरह