Manzoor Hai
फिर जोडें मिलके
वो टुकड़े दिल के
बिखरे पड़े जो यहाँ
कल तुम थे हम थे
राहें वो जिन पे
कोई नहीं अब वहां
ये साँसें केह रहीं तुमसे
थे इनका दिल तो बस तुम थे
तुम्ही ने था दिया जीना
तेरे बिन हम ज़रा कम थे
तेरा हमको भुला देना
हँसा के फिर रुला देना
मुझे मंज़ूर है जो भी
मिले तुमसे
हो मिले तुमसे
अपना बना के ऐसे दूर जाना तेरा
यादों से मिला के मुझे भूल जाना तेरा
जाने कितनी दफा मनाया है मैंने तुझे
फिर क्यों जुदा है मुझे ये बताना ज़रा
कभी तुम ख्वाब होते थे
मेरी नींदों में सोते थे
मेरी आँखों से हस्ते थे
मेरी आँखों से रोते थे
तेरा हमको भुला देना
हँसा के फिर रुला देना
मुझे मंज़ूर है जो भी
मिले तुमसे
मिले तुमसे
किसको पता था कभी ऐसे नज़दीकियाँ
आएँगी लिए रास्तों में सौ दूरियाँ
जाने क्यों तेरी वो जगह आसुओं ने है ली
रहता था बनके जहाँ तू कल ख्वाब सा
घुलने लगी अब शामों अपनी कहानियां
और फिर है कहीं तूँ और मैं कहीं
ये साँसें केह रहीं तुमसे
थे इनका दिल तो बस तुम थे
तुम्ही ने था दिया जीना
तेरे बिन हम ज़रा कम थे
तेरा हमको भुला देना
हँसा के फिर रुला देना
मुझे मंज़ूर है जो भी
मिले तुमसे
आ मिले तुमसे
आअह्ह्ह्ह आअह्ह्ह्ह