Sharabi
Rahul Jain, Soham Naik
मैं उड़ चला हूँ, खो चुका हूँ
इस नशे में यहाँ
मेरी धड़कने भी बेफ़िकर हैं
इस नशे में यहाँ
मेरे सारे लफ़्ज़ ये लड़खड़ाए
इस में क्या है ख़ता
सारे ग़म भुला के मैं जी रहा हूँ
दुनिया का क्या पता
मैं हुआ शराबी, इस में कैसी ख़राबी
मैं हुआ शराबी, इस में कैसी ख़राबी
मैं हुआ शराबी, इस में कैसी ख़राबी
मैं हुआ शराबी, इस में कैसी ख़राबी
ये समाँ है नशीला (नशीला)
ये रात भी है जवाँ
ये कैसा असर है जो चढ़ रहा
ना किसी को ख़बर है, हम है कहाँ
मैं उड़ चला हूँ, खो चुका हूँ
इस नशे में यहाँ
मेरी धड़कने भी बेफ़िकर हैं
इस नशे में यहाँ
मेरे सारे लफ़्ज़ ये लड़खड़ाए
इस में क्या है ख़ता
सारे ग़म भुला के मैं जी रहा हूँ
दुनिया का क्या पता
मैं हुआ शराबी, इस में कैसी ख़राबी
मैं हुआ शराबी, इस में कैसी ख़राबी
मैं हुआ शराबी, इस में कैसी ख़राबी
मैं हुआ शराबी, इस में कैसी ख़राबी