SADHGURU TUM KAUN HO?

Aishwarya Nigam, Deepali Sahay

सद्‌गुरु, तुम कौन हो!

जिस तरह तुमने मुझे भेदा है
मेरा कर्म या भाग का लेखा है
खुद में ही तुमको देखा है
जाने जुड़ती कौन सी रेखा है
तुम शोर हो, या ध्यान हो
सद्गुरू, तुम कौन हो?

तुम तथ्य हो या हो कलाकार
मेरी जीत हो या हो मेरी हार
तुम स्पष्ट हो, या हो द्वंद्व मेरा
मेरी कविता हो या हो छंद मेरा
हो मार्ग या निर्वाण हो
सद्गुरू, तुम कौन हो!

तुम हो अहम, तुम वहम भी
क़िस्मत हो तुम, तुम करम भी
तुम हो जटिल, तुम सरल भी
हो अडिग तुम, तुम अटल भी
तुम श्वास हो, तुम सत्व भी
हो तर्क तुम, तुम तत्व भी
तुम पहर भी, तुम सहर भी
मेरी लौ भी तुम, मेरी लहर भी
विल्वा भी तुम, तुम नीम भी
हो तीव्र तुम, तुम क्षीण भी
ज्ञानी भी तुम, तुम गहन भी
मेरी पीर तुम, मेरी सहन भी
तुम सूर्य हो और चंद्र भी
हो तार तुम, तुम मंद्र भी
तुम हो गृहस्थ, तुम संत भी
आदि हो तुम, तुम अंत भी

उस एक नज़र से जब तुमने
हमको अंदर से तोड़ दिया
पहचान कि छिछली काया को
इक पल में हमने छोड़ दिया

क्यों ना पूछूँ तुम कौन हो
क्यों बोलकर भी तुम मौन हो
क्यों होकर भी तुम गौण हो
सद्गुरू, तुम कौन हो?

तुम शोर हो, या तुम ध्यान हो
तुम मृत्यु हो, या प्राण हो
तुम मार्ग हो या निर्वाण हो
सद्गुरू

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