Sagar Se Bhi Gehri

Javed Akhtar

समुंदर की लहरे अपने सरो पे झाँक के ताज़ सजाए
इठलाती हुई साहिलो की तरफ बढ़ती हैं साहिलो पर चट्टाने
लहरे चकनाचूर हो जाती हैं अक्सर सपने भी सच्चाई से
टकराकर यूँ ही टूटते हैं मगर दिल वो कम्बखत हैं
की फिर भी उम्मीद करता हैं सायद कभी सायद कहीं

सागर से भी गहरी हैं तन्हाईयाँ
रात से भी काली गम की परछाईया
ढूंढती हू तुम्हे, खोए ना जाने हो तुम कहा
तुम कहा, तुम हो कहाँ
तुम हो कहाँ, तुम हो कहाँ
सागर से भी गहरी हैं तन्हाईयाँ
रात से भी काली गम की परछाईया
ढूंढती हू तुम्हे, खोए ना जाने हो तुम कहा
तुम कहा, तुम हो कहाँ

सुनी सुनी हैं सुनी सुनी हैं सपनो की ये वादियाँ
सुना सुना हैं सुना सुना हैं अरमानो का ये जहा
सुनी सुनी हैं सुनी सुनी हैं सपनो की ये वादियाँ
सुना सुना हैं सुना सुना हैं अरमानो का ये जहा
फैला हैं इन हवाओं मे जैसे धुआँ
तुम हो कहाँ, तुम हो कहाँ तुम हो कहाँ

खोई खोई हैं खोई खोई हैं धड़कन की हर दासता
खोया खोया हैं खोया खोया हैं यादों का हर कारवाँ
खोई खोई हैं खोई खोई हैं धड़कन की हर दासता
खोया खोया हैं खोया खोया हैं यादों का हर कारवाँ
हैरान हैं ये ज़मीन और ये आसमान
तुम हो कहाँ तुम हो कहाँ
सागर से भी गहरी हैं तन्हाईयाँ
रात से भी काली गम की परछाईया
ढूंढती हू तुम्हे, खोए ना जाने हो तुम कहा
तुम कहा, तुम हो कहाँ
तुम हो कहाँ, तुम हो कहाँ तुम हो कहाँ

Curiosités sur la chanson Sagar Se Bhi Gehri de Alka Yagnik

Qui a composé la chanson “Sagar Se Bhi Gehri” de Alka Yagnik?
La chanson “Sagar Se Bhi Gehri” de Alka Yagnik a été composée par Javed Akhtar.

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