Vaishnav Jan To
वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड़ परायी जाणे रे
वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड़ परायी जाणे रे
पर दुख्खे उपकार करे तोये
पर दुख्खे उपकार करे तोये मन अभिमान ना आणे रे
वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड़ परायी जाणे रे
सकळ लोक मान सहुने वंदे नींदा न करे केनी रे
वाच काछ मन निश्चळ राखे धन धन जननी तेनी रे
वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड़ परायी जाणे रे
सम दृष्टी ने तृष्णा त्यागी पर स्त्री जेने मात रे
सम दृष्टी ने तृष्णा त्यागी पर स्त्री जेने मात रे
जिह्वा थकी असत्य ना बोले
जिह्वा थकी असत्य ना बोले पर धन नव झाली हाथ रे
वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड़ परायी जाणे रे
पीड़ परायी जाणे रे
पीड़ परायी जाणे रे
वैष्णव जन तो वैष्णव जन तो
वैष्णव जन तो वैष्णव जन तो
पीड़ परायी जाणे रे
पीड़ परायी जाणे रे
पीड़ परायी जाणे रे
पीड़ परायी जाणे रे
पीड़ परायी जाणे रे
पीड़ परायी जाणे रे
पीड़ परायी जाणे रे
पीड़ परायी जाणे रे
परायी जाणे रे
पीड़ परायी जाणे रे