Gazab Ka Hain Yeh Din

AMAL ISRAR MALLIK, MANOJ MUNTASHIR SHUKLA

हो हूँ ओ ये ये ऊ
चल पड़े है हम ऐसी राह पे
बेफिक्र हुए के अब जाना कहाँ
लापता हुए सारे रास्ते
ढूँढेगा हमें ये ज़माना कहाँ
ये समां है कैसा
मुस्कुराने जैसा
धीमी बारिशें हैं हर जगह
हूँ ये नशा है कैसा
डूब जाने जैसा
जागी ख्वाहिशें हैं हर जगह
गज़ब का है ये दिन
गज़ब का है ये दिन
गज़ब का है ये दिन देखो ज़रा
गज़ब का है ये दिन
गज़ब का है ये दिन
गज़ब का है ये दिन देखो ज़रा
हो ओ ओ ऊ हे ऊ हो ओ ओ ऊ हम्म हे हे
पानी हूँ पानी मैं
हाँ बहने दो मुझे
जैसा हूँ वैसा ही
रहने दो मुझे
दुनिया की बंदिशों से
मेरा नाता है कहाँ
रुकना ठहरना मुझको आता है कहाँ
ये समां है कैसा
मुस्कुराने जैसा
धीमी बारिशें हैं हर जगह
हा ऊ ऊ
ये नशा है कैसा
डूब जाने जैसा
जागी ख्वाहिशें हैं हर जगह
गज़ब का है ये दिन
गज़ब का है ये दिन
गज़ब का है ये दिन देखो ज़रा
गज़ब का है ये दिन
गज़ब का है ये दिन
गज़ब का है ये दिन देखो ज़रा

नीली है क्यूँ ज़मीन
नीला है क्यूँ समा
लगता है घास पर सोया आसमाँ
ये मस्तियाँ मेरी
मनमानियां मेरी
लो मिल गयी मुझे आज़ादियाँ मेरी
ये समा है कैसा
मुस्कुराने जैसा
धीमी बारिशें हैं हर जगह
हो हूँ हो हूँ
ये नशा है कैसा
डूब जाने जैसा
जागी ख्वाइशें हैं हर जगह
गज़ब का है ये दिन
गज़ब का है ये दिन
गज़ब का है ये दिन देखो ज़रा
गज़ब का है ये दिन
गज़ब का है ये दिन
गज़ब का है ये दिन देखो ज़रा
चल पड़े हैं हम ऐसी राह पे
बेफिक्र हुए के अब जाना कहाँ
लापता हुए सारे रास्ते
ढूंढेगा हमें ये ज़माना कहाँ
ये समा है कैसा
मुस्कुराने जैसा
धीमी बारिशें हैं हर जगह
ये नशा है कैसा
डूब जाने जैसा
जागी ख्वाइशें हैं हर जगह
गज़ब का है ये दिन
गज़ब का है ये दिन
गज़ब का है ये दिन देखो ज़रा
गज़ब का है ये दिन
गज़ब का है ये दिन
गज़ब का है ये दिन देखो ज़रा
हो हूँ ओ ये ये ऊ हो हूँ ओ ये ये ऊ

Curiosités sur la chanson Gazab Ka Hain Yeh Din de Arijit Singh

Qui a composé la chanson “Gazab Ka Hain Yeh Din” de Arijit Singh?
La chanson “Gazab Ka Hain Yeh Din” de Arijit Singh a été composée par AMAL ISRAR MALLIK, MANOJ MUNTASHIR SHUKLA.

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