अटकन बटकन
अटकन बटकन दही चटकन
छु छु भो भो म्यू
अटकन बटकन दही चटकन
छु छु भो भो म्यू
एक पहेली बड़े मजे की
पुछु तुम बतलाओ
बोलो विक्की बटलोगे तो सुनो
जो देखे वो नकल उतारे
सबका जी बहलाये
वक्त पड़े तो सेना बनकर
दुसमन से टकराये
जो देखे वो नकल उतारे
सबका जी बहलाये
वक्त पड़े तो सेना बनकर
दुसमन से टकराये
रामायण में कथा हो जिसकी
घर पंडित दोहोराय
बोलो क्या हो बोलो क्या
बोलो बोलो
मालूम नहीं अरे बन्दर
अटकन बटकन दही चटकन
छु छु भो भो म्यू
एक पहेली बड़े मजे की
पुछु तुम बतलाओ
हिलता जुलता पर्वत जैसा
पँखो जैसे कान
जंगल हो या बस्ती इसकी
सबसे ऊँची शान
हिलते जुलते पर्वत जैसा
पँखो जैसे कान
जंगल हो या बस्ती इसकी
सबसे ऊँची शान
ढील ढाल से एक जानवर
चहेरे से भगवान
बोलो क्या हो बोलो क्या
अरे बाबा अब तो बोलो
हाथी हा
अटकन बटकन दही चटकन
छु छु भो भो मैयौ
एक पहेली बड़े मजे की
पुछु तुम बतलाओ
सर पे कोई ताज न पगड़ी
ओढ़े सदा दोशाला
रात अँधेरी जब भी निकले
आंखे करे उजाला
सर पे कोई ताज न पगड़ी
ओढ़े सदा दोशाला
रात अँधेरी जब भी निकले
आंखे करे उजाला
जंगल का एक राजा ऐसा
बिल्ली जिसकी खाला
बोलो क्या हो बोलो क्या
बोलो बोलो नहीं पहचाना
अरे शेर
कोयल में कुहू कुहू बन जाये
बंसी में मल्हार
ममता की होठो पर लोरी
चिडियो में चहकत
कोयल में कुहू कुहू बन जाये
बंसी में मल्हार
ममता की होठो पर लोरी
चिडियो में चहचात
दे चेहरा एक चीज़ गले
में जिसके रंग हज़ार
बोलो क्या हो बोलो क्या
बोलो बोलो बेटा कोसिस करो