Aur Saqi Jo Kal Ki Hai Bachi
अरे साकि जो कल की है बाकि
उसकी को धोद चल जाये
उठा पर्दा देख जलवा
के शीशे में जवानी आ उतर जाये
अरे साकि
रानी हु मैं रात की तू है गलियो का राजा
सोई हुई जवानी को तू छू के जरा जगा जा
मेरी निगाहे अदाए ये बाहे बुलाये
ही हा
ही हा ला ला ला
ओ मचल के पि संभल के पि
पैमाने में मैखाना डूब न जाये
मचल के पि संभल के पि
पैमाने में मैखान डूब न जाये
अरे साकि
दम में दम है तो दम लगा
दुनिया क्या है नशा ही नशा
आसमा के बादल का कुछ भी नहीं
मज़ा तो तब है जब ज़मी पे बादल बना
मेरे हमदम रात है कम
के बातो में सारी रात न जाये
उठा पर्दा देख जलवा
के शीशे में जवानी आ उतर जाये
अरे साकि