Chod Ke Na Jana
छ्चोड़ के ना जाना ना
छ्चोड़ के ना जाना ना
ना जानां फिर मुझे तुम
छ्चोड़ के ना जाना
ना जानां फिर मुझे तुम
छ्चोड़ के ना जाना
फिर ना मेरा दिल दुखाना
फिर ना तड़पाना हो
छ्चोड़ के ना जाना
ना जानां फिर मुझे तुम
छ्चोड़ के ना जाना
कैसी धुन में खो गई है
ये तो पागल हो गई है
इसको ये क्या हो गया है
जागते में सो गई है
छ्चोड़ के ना जाना ना
ना जानां फिर मुझे तुम
छ्चोड़ के ना जाना
फिर ना मेरा दिल दुखाना
फिर ना तड़पाना हो
छ्चोड़ के ना जाना
ना जानां फिर मुझे तुम
छ्चोड़ के ना जाना
छ्चोड़ के ना जाना
ना जानां फिर मुझे तुम
छ्चोड़ के ना जाना
फिर ना मेरा दिल दुखाना
फिर ना तड़पाना हो
छ्चोड़ के ना जाना
छ्चोड़ के ना जाना
ना जानां फिर मुझे तुम
छ्चोड़ के ना जाना
दस रहा है टन को
तन्हाई का नाग
मेरी नस नस में
है जाने कैसी आग
मैं हूँ जैसे
बाँसुरी और साँस तू
गूँजता है तू बदन में बन के राग
सुन रही हैं ये
फ़िज़ाइं अपना अफ़साना
ना ना ना ना ना
छ्चोड़ के ना जाना ना
ना जानां फिर मुझे तुम
छ्चोड़ के ना जाना
तू जो च्छू ले तो बहक जाती हूँ मैं
गर्म हाथों से दाहक जाती हूँ मैं
जिस्म लगता है मुझे इक फूल सा
तेरे पास आके महक जाती हूँ मैं
है तेरे बिन कैसे मुमकिन चैन पा जाना
ना ना ना ना ना
छ्चोड़ के ना जाना ना
ना जानां फिर मुझे तुम
छ्चोड़ के ना जाना
आरजूएन दिल को पिघलाने लगी
हाय क्यों अंगड़ाइयाँ
आने लगी
काँपतिहूँ तारथराती हूँ मैं क्यों
क्यों मैं आख़िर
तुम से शरमाने लगी
ये मुझे क्या हो रहा
है तुम ही समझाना
ना ना ना ना ना
छ्चोड़ के ना जाना ना
छ्चोड़ के ना जाना ना
ना जानां फिर मुझे तुम
छ्चोड़ के ना जाना
फिर ना मेरा दिल दुखाना
फिर ना तड़पाना हो
छ्चोड़ के ना जाना
ना जानां फिर मुझे तुम
छ्चोड़ के ना जाना