Kahin Tare Kahin Shabnam

Mumtaz Rashid

कहीं तारे कहीं शबनम कहीं जुगनू निकले
कहीं तारे कहीं शबनम कहीं जुगनू निकले
सारे मंज़र तेरी आवाज़ के जादू निकले
कहीं तारे कहीं शबनम कहीं जुगनू निकले
सारे मंज़र तेरी आवाज़ के जादू निकले
कहीं तारे कहीं शबनम कहीं जुगनू निकले

ज़िंदगी हम जिये औरों की ख़ुशी के ख़ातिर
ज़िंदगी हम जिये औरों की ख़ुशी के ख़ातिर
भीड़ में हँस दिये तन्हाई में आँसू निकले
भीड़ में हँस दिये तन्हाई में आँसू निकले
सारे मंज़र तेरी आवाज़ के जादू निकले
कहीं तारे कहीं शबनम कहीं जुगनू निकले

तेरे होंठों पे चमक उट्ठे मेरा नाम कभी
तेरे होंठों पे चमक उट्ठे मेरा नाम कभी
तेरे होंठों पे चमक उट्ठे मेरा नाम कभी
और मेरी ग़ज़लों के परदे से कभी तू निकले
और मेरी ग़ज़लों के परदे से कभी तू निकले
सारे मंज़र तेरी आवाज़ के जादू निकले
कहीं तारे कहीं शबनम कहीं जुगनू निकले

जब भी याद आ गया वो साँवला चेहरा राशिद
जब भी याद आ गया वो साँवला चेहरा राशिद
आँखों में फूल खिले साँसों से ख़ुश्बू निकले
आँखों में फूल खिले साँसों से ख़ुश्बू निकले
सारे मंज़र तेरी आवाज़ के जादू निकले
कहीं तारे कहीं शबनम कहीं जुगनू निकले
सारे मंज़र तेरी आवाज़ के जादू निकले
कहीं तारे कहीं शबनम कहीं जुगनू निकले

Curiosités sur la chanson Kahin Tare Kahin Shabnam de Asha Bhosle

Quand la chanson “Kahin Tare Kahin Shabnam” a-t-elle été lancée par Asha Bhosle?
La chanson Kahin Tare Kahin Shabnam a été lancée en 1985, sur l’album “Aabshaar-E-Ghazal”.
Qui a composé la chanson “Kahin Tare Kahin Shabnam” de Asha Bhosle?
La chanson “Kahin Tare Kahin Shabnam” de Asha Bhosle a été composée par Mumtaz Rashid.

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