Kali Ke Roop Men

Majrooh Sultanpuri, S D Burman

कली के रूप में चली हो, धूप में कहाँ
सुनो जी महरबाँ, होगे ना तुम जहाँ वहाँ
कली के रूप में चली हो, धूप में कहाँ
सुनो जी महरबाँ, होगे ना तुम जहाँ वहाँ

क्या है, कहो जल्दी कि हम तो हैं चल दी
अपने दिल के सहारे, अब ना रुकेंगे तो
दुखाने लगेंगे पाँव नाजुक तुम्हारे
साथी कहो जल्दी कि हम तो हैं चल दी
अपने दिल के सहारे, अब ना रुकेंगे तो
दुखाने लगेंगे पाँव नाजुक तुम्हारे

हो छोड़ो दीवाना पन, आजी जनाब मन कहा
सुनो जी महर बाँ, होगे ना तुम जहाँ वहाँ
कली के रूप में चली हो, धूप में कहाँ

चल ना सकेंगे, संभल ना सकेंगे
हम तुम्हारी बला से, मिला न सहारा
तो आओगी दुबारा, खींच के मेरी सदा पे
हो चल ना सकेंगे, संभल ना सकेंगे
हम तुम्हारी बला से, मिला न सहारा
तो आओगी दुबारा, खींच के मेरी सदा पे
राह में हो के गुम, जाओगे छुप के कहाँ
सुनो जी महरबाँ, होगे ना तुम जहाँ वहाँ
कली के रूप में चली हो, धूप में कहाँ हो हो

मानोगे ना तुम भी तो, ए लो चलें हम भी
अब हमें ना बुलाना, जाते हो तो जाओ
अदायें ना दिखाओ, दिल ना होगा निशाना
मानोगे ना तुम भी तो, ए लो चलें हम भी
अब हमें ना बुलाना, जाते हो तो जाओ
अदायें ना दिखाओ, दिल ना होगा निशाना
हवा पे बैठ के चले हो, ए थे कहाँ
सुनो जी महरबाँ, होगे ना तुम जहाँ वहाँ

Curiosités sur la chanson Kali Ke Roop Men de Asha Bhosle

Qui a composé la chanson “Kali Ke Roop Men” de Asha Bhosle?
La chanson “Kali Ke Roop Men” de Asha Bhosle a été composée par Majrooh Sultanpuri, S D Burman.

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