Kambal Na Hatao
हम दोनों कम्बल में बहार मधुमखी का डर
बचेंगे कब तक दोनों छुपकर कम्बल के अन्दर
कंबल न हटाओ मुझ लगताहै डर
बचेंगे कब तक दोनों छुपकर कम्बल के अन्दर
कंबल न हटाओ मुझ लगता हैं डर
बचेंगे कब तक दोनों छुपकर कम्बल के अंदर
डांक का ये ज़हर लाएगा क्या असर
ये हमे क्या खबर
न न बाबा छोड शरारत
कोई जातां तो कर कुछ न आज हो जाये
कुछ न आज हो जाये
कंबल न हटाओ मुझ लगता हैं डर
बचेंगे कब तक दोनों छुपकर कम्बल के अन्दर
मौसम है सर्दी का फिर भी गर्मी लगती है
मैं क्या जानू तनमन मैं क्यों आग सुलगती है
मौसम है सर्दी का फिर भी गर्मी लगती है
मैं क्या जानू तनमन मैं क्यों आग सुलगती है
ठंडी ठंडी आग मैं जलना अच्छा लगता है
जागी आँखों का सपना भी सच्चा लगता है
दिल को यु छेड़कर यु न देखो इधर दिल न जाये ठहर
ना ना बाबा छोड़ शरारत कोई जतन तो कर
कुछ न आज हो जाये
कुछ न आज हो जाये
कंबल न हटाओ मुझ लगता हैं डर
बचेंगे कब तक दोनों छुपकर कम्बल के अन्दर
आआ आआ आआ आआ आआ आआ
आआ आआ आआ आआ आआ आआ
निल गगन के निचे उड़ते बदलो की छाओ मैं
प्यार का प्यारा गांव हो सपनो की गांव मैं
तेरे प्यार की मीठी मीठी खुशबु उड़े हवाओं मैं
चमचम डोलू तेरे प्यार की पायल बंधे पाउ मैं
कापे दिल सोचकर कोई आ भी अगर ले उड़े अपना घर
ना ना बाबा बोल न ऐसा मुझे लगता है डर
कुछ न आज हो जाये
कुछ न आज हो जाये
कंबल न हटाओ मुझ लगता हैं डर
बचेंगे कब तक दोनों छुपकर कम्बल के अन्दर
आआ आआ आआ आआ आआ आआ
छोड़ तुझ इस पर जो मैं उस पर चली जाऊ
लव लेटर लिखकर मैं तुझ वापस बुलवौ
छोड तुझ इस पर जो मैं उस पर चली जाऊ
लव लेटर लिखकर मैं तुझ वापस बुलवौ
लव लेटर प् कर भी जो मैं लौट के न औ
आग का दरिया डूब के मैं उस पर चला औ
शोलो में डूबकर खो गया तू अगर मैं तो जाऊंगी मर
न न बाबा न न ऐसी बातें तू न कर
तेरी बाहों में आकर मुझ को
अब किसका है दर
आआ आआ आआ आआ आआ आआ
आआ आआ आआ आआ आआ आआ
आआ आआ आआ आआ आआ आआ
आआ आआ आआ आआ आआ आआ