Karoon Na Yaad Magar
करूँ ना याद मगर किस तरह भूलूँ उसे
करूँ ना याद मगर किस तरह भूलूँ उसे
ग़ज़ल बहाना करुण और गुणागुण उसे
करूँ ना याद मगर किस तरह भूलूँ उसे
करूँ ना याद
वो खार खार है शाख-ए-गुलाब की मानिंदो
वो खार खार है शाख-ए-गुलाब की मानिंदो
माई ज़ख्म ज़ख्म हुन फ़िर भी गले लगाओं उसे
करूँ ना याद मगर किस तरह भूलूँ उसे
करूँ ना याद
ये लोग तज़किरे कराटे है अपने लोगो के
ये लोग तज़किरे कराटे है अपने लोगो के
में किससे बात करूं और कहां से लाऊं उसे
करूँ ना याद मगर किस तरह भूलूँ उसे
करूँ ना याद
जो हमसफ़र सर-ए-मज़िल बिछद रहा है फ़राज़
जो हमसफ़र सर-ए-मज़िल बिछद रहा है फ़राज़
अजब नहीं है आगर याद भी ना आउँ उसे
करूँ ना याद मगर किस तरह भूलूँ उसे
ग़ज़ल बहाना करुण और गुणागुण उसे
करूँ ना याद मगर किस तरह भूलूँ उसे