Maine Ek Khwab Sa Dekha [Lofi]

Ravi, Sahir Ludhianvi, LUDHIANVI SAHIR

मैंने देखा है फूलों से लड़ी शाखों में
तुम लचकती हुई मेरे करीब आई हो

आआ

जैसे मुद्दत से युहीं साथ रहा हो अपना
जैसे अबकी नहीं सदियों की शनासाई हो

मैंने भी ख्वाब सा देखा है
कहो,तुम भी कहो
खुद पे इतरा तो न जाओगे
नहीं खुद पे नहीं

मैंने देखा की गाते हुए झरनों के करीब
अपनी बेताबी जज़्बात कही है तुमने

हम्म हम्म

कापते होठों से रूकती हुई आवाज़ के साथ
जो मेरे दिल में थी वही बात कही है तुमने

हम्म हम्म हम्म मम्म
हम्म हम्म हम्म
हम्म हम्म हम्म मम्म

आंच देने लगा कदमों के तले बर्फ का फर्श
आज जाना की मोहब्बत में है गर्मी कितनी

हम्म हम्म हम्म्म हम्म्म

संगमरमर की तरह
सख्त बदन में तेरे
आ गयी है मेरे
चुलेने से नर्मी कितनी

हम चले जाते हैं और दूर तलक कोई नहीं
हम चले जाते हैं और दूर तलक कोई नहीं
सिर्फ पत्तों के चटकने की सदा आती है
दिल में कुछ ऐसे ख़यालात ने करवट ली है
मुझको तुम से नहीं अपने से हया आती है

हम्म हम्म हह्म्म्म हम्म
हम्म हम्म हह्म्म्म हम्म

Curiosités sur la chanson Maine Ek Khwab Sa Dekha [Lofi] de Asha Bhosle

Qui a composé la chanson “Maine Ek Khwab Sa Dekha [Lofi]” de Asha Bhosle?
La chanson “Maine Ek Khwab Sa Dekha [Lofi]” de Asha Bhosle a été composée par Ravi, Sahir Ludhianvi, LUDHIANVI SAHIR.

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