Maut Kitni Bhi Sangdil Ho
मौत कितनी भी संगदिल हो
मगर ज़िन्दगी से तो मेहरबा होगी
मौत कितनी भी संगदिल हो मगर
ज़िन्दगी से तो मेहरबा होगी
इक नए जांज को जन्म देती है
ज़िन्दगी हर खुशी की दुश्मन है
मौत सबसे निबाहे करते है
ज़िन्दगी ज़िन्दगी की दुसमन है
कुछ ना कुछ तो सुकून
पायेगा मौत के बस जिसकी जान होगी
मौत कितनी भी संगदिल हो मगर
ज़िन्दगी से तो मेहरबा होगी
मौत से और कुछ मिले न मिले
ज़िन्दगी से तो जान छूटेगी
मुस्कराहट नसीब हो के न हो
आंसुओ की लड़ी तो टूटेगी
हम न होंगे तो गम किसे होगा
ख़तम हर गुमकी दस्ता होगी
मौत कितनी भी संगदिल हो मगर
ज़िन्दगी से तो मेहरबा होगी