Pyas Kuchh Aur Bhi Bhadka Di - 2

Khaiyyaam, Azmi Kaifi

प्यास कुच्छ और भी
भड़का दी झलक दिखला के
तुझको परदा रुख़ ए
रौशन से हटाना होगा
चाँद में नूर न तारो में चमक बाकी हे
ये अँधेरा मेरी दुनिया का मिटाना होगा

हे मुझे की हिजर की आँखों में जगाने वाले
जा कभी नींद जुदाई में न आएगी तुझे
सुबह तक तड़पेगी आँसू बनके
रात की कसक जगाएगी तुझे
तुझको परदा रुख़ ए
रौशन से हटाना होगा
ये अँधेरा मेरी दुनिया का मिटाना होगा

कोई अरमान हे न
ना हसरत हे न उमीदे हे
अब मेरे दिल में मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं
ये मुकदर की खराबी ये ज़माने का सितम
बेवफा तेरी इनायत के सिवा कुछ भी नहीं
तुझको परदा रुख़ ए
रौशन से हटाना होगा
ये अँधेरा मेरी दुनिया का मिटाना होगा
प्यास कुच्छ और भी
भड़का दी झलक दिखला के
तुझको परदा रुख़ ए
रौशन से हटाना होगा
चाँद में नूर न तारो में चमक बाकी हे
ये अँधेरा मेरी दुनिया का मिटाना होगा

Curiosités sur la chanson Pyas Kuchh Aur Bhi Bhadka Di - 2 de Asha Bhosle

Qui a composé la chanson “Pyas Kuchh Aur Bhi Bhadka Di - 2” de Asha Bhosle?
La chanson “Pyas Kuchh Aur Bhi Bhadka Di - 2” de Asha Bhosle a été composée par Khaiyyaam, Azmi Kaifi.

Chansons les plus populaires [artist_preposition] Asha Bhosle

Autres artistes de Pop rock