Ye Zalim Nigaho Ki Ghaat
ये ज़ालिम निगाहो की घात
बड़ी तीखी बड़ी नटखटी
अपने अपने मुक़द्दर की बात
किसके हिस्से में कितनी बटी
ये ज़ालिम निगाहो की घात
बड़ी तीखी बड़ी नटखटी
जो नज़र न मिलाए
न जिगर पे चोट खाई
उस दिल का फायदा क्या
जो किसी पे आ न जाये
है वो ज़िंदगी भी कोई ज़िंदगी
जो मोहब्बत किये बिन कटि
ये ज़ालिम निगाहो की घात
बड़ी तीखी बड़ी नटखटी
जो हुआ न किसी का दुश्मन है ज़िंदगी का
गा ले ज़रा जहाँ मे
नग्मा तो आशिक़ी का
तू जिया भी तो क्या दो घडी के लिए
जो न ये प्यार की रट रटे
ये ज़ालिम निगाहो की घात
बड़ी तीखी बड़ी नटखट
ये दिल को ना जाने लुट जाये किस बहाने
कितने भी दे ख़ुशी से
है बहार के ज़माने
लुट गए दिल कई मिट गए दिल कई
पर मोहब्बत कभी न घटी
ये ज़ालिम निगाहो की घात
बड़ी तीखी बड़ी नटखटी
अपने अपने मुक़द्दर की बात
किसके हिस्से में कितनी बटी