Raat Bhar

GULZAR, BHUPINDER SINGH

रात भर सर्द हवा चलती रहीं, चलती रहीं
रात भर सर्द हवा चलती रहीं, रात भर हमने अलाव तापा
रात भर सर्द हवा चलती रहीं, रात भर हमने अलाव तापा
रात भर सर्द हवा चलती रहीं, ई ई ई

मैने माज़ी से कई खुश्क सी शाखे काटी
तुम ने भी गुज़रे हुवे लम्हों के पत्ते तोड़े
मैने ज़ाबों से निकाली सभी सुखी नज़्मे
तुम ने भी हाथों से मुरझाए हुए खत खोले
अपनी इन आँखों से मैने कई माँजे तोड़े
और हाथों से कई बासी लकीरें फैकी

रात भर जो भी मिला उगते बदन पर हमको
रात भर जो भी मिला उगते बदन पर हमको
काट कर डाल दिया जलते अलाव मे उसे
रात भर फुकों से हर लौ को जलाए रखा
और दो जिस्मों के इंधन को जलाए रखा
और दो जिस्मों के इंधन को जलाए रखा

रात बहार बुझते हुए रिश्ते को तापा हमने
बुझते हुए रिश्ते को तापा हमने
तापा हमने

Curiosités sur la chanson Raat Bhar de Bhupinder Singh

Qui a composé la chanson “Raat Bhar” de Bhupinder Singh?
La chanson “Raat Bhar” de Bhupinder Singh a été composée par GULZAR, BHUPINDER SINGH.

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