Roz Saahil Pe Khade Hoke

Gulzar

रोज़ साहिल पे खड़े होके
इसे देखा हैं रोज साहिल पे
खड़े होके इसे देखा हैं
शाम का पीगला हुआ
सुर्खो सुनेहरी रोगन
रोज़ मंडियल से
पानी में ये घुल जाता हैं
रोज़ साहिल पे

रोज़ साहिल पे खड़े
होके यहीं सोचा हैं
रोज़ साहिल पे खड़े
होके यहीं सोचा हैं
मैं जो पीगाली हुई
रंगीन शफ़क़ का रोवां
पोच्च लून हाथो पे
और चुपके से एक बार कहीं
तेरे घुलना से रुखसारो पे
छप से मल दू
तेरे घुलनाल से दहके हुए
रुखसारो पर
शाम का पीगला हुआ
सुर्खो सुनहरी रोगन
रोज मध्याल से
पानी में ये घुल जाता हैं
रोज़ साहिल पे
खड़े होके इसे देखा हैं
रोज साहिल पे

Curiosités sur la chanson Roz Saahil Pe Khade Hoke de Bhupinder Singh

Quand la chanson “Roz Saahil Pe Khade Hoke” a-t-elle été lancée par Bhupinder Singh?
La chanson Roz Saahil Pe Khade Hoke a été lancée en 2008, sur l’album “Woh Jo Shair Tha”.
Qui a composé la chanson “Roz Saahil Pe Khade Hoke” de Bhupinder Singh?
La chanson “Roz Saahil Pe Khade Hoke” de Bhupinder Singh a été composée par Gulzar.

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