Daaru Desi
FAROOQ AHMED, RADNYI TYAGRAJ
Farooq
च च चढ़ी मुझे यारी तेरी ऐसी जैसे दारु देसी
खट्टी मीठी बातें हैं नशे सी जैसे दारु देसी
चढ़ी मुझे यारी तेरी ऐसी जैसे दारु देसी
खट्टी मीठी बातें हैं नशे सी जैसे दारु देसी
लड़खड़ाने लगी
मुस्कुराने लगी
बेवजह हर जगह
आने जाने लगी
तू मुझे मैं तुझे
जो भी हो दिल में वह खुल के बताने लगी (हां)