Bujh Gaya Tha Kyun Diya

Gulzar Saab

देखिये टैगोर कितने खामोश सवाल करते हे जिंदगी से
बड़ा नाजुक एहसास हे ये
जहाँ जहाँ जिंदगी का दामन उसकी गुंजाईश से ज्यादा खींचना
वहां वहां उसकी सांस छूट गयी

बुझ गया था क्यूं दिया
बुझ गया था क्यूं दिया
बुझ गया था क्यूं दिया
ज़्यादा ही बचाया था
मिलन की रात जग करे
इस लिए, इस लिए वो बुझ गया
वो बुझ गया, वो बुझ गया

हम्म
मुर्झा गया फूल क्यूं
मुर्झा गया फूल क्यूं

प्यार की बेचैनियों में
उसे देखने में दबा रखा था मैंने
इस्लीए मुर्झा गया, मुर्झा गया
मुर्झा गया

किस लिए सूखी नदी
किस लिए सूखी नदी
किस लिए सूखी नदी
बंध बंध था जरूरत के लिए उस पर
बंध बंध था जरूरत के लिए उस पर
हमशा के लिए रख लूं
इस लिए सूखी नदी
इस लिए सूखी नदी

तार चटखा साझ का क्यूं
तार चटखा साझ का क्यूं

उसकी हैड से ज़्यादा
खिंच गया था
सुर लगान में
इस लिए तार चटखा इस लिए इस लिए

Curiosités sur la chanson Bujh Gaya Tha Kyun Diya de Gulzar

Qui a composé la chanson “Bujh Gaya Tha Kyun Diya” de Gulzar?
La chanson “Bujh Gaya Tha Kyun Diya” de Gulzar a été composée par Gulzar Saab.

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