Khalaaon Mein Tairate Jazeeron Mein

GULZAR

ख़लाओं में तैरते जज़ीरों पे चम्पई धूप देख कैसे बरस रही है
महीन कोहरा सिमट रहा है
हथेलियों में अभी तलक तेरे नर्म चेहरे का लम्स ऐसे छलक रहा है
कि जैसे सुबह को ओक में भर लिया हो मैंने
बस एक मद्धम-सी रोशनी मेरे हाथों-पैरों में बह रही है
तेरे लबों पर ज़बान रखकर
मैं नूर का वह हसीन क़तरा भी पी गया हूँ
जो तेरी उजली धुली हुई रूह से फिसलकर तेरे लबों पर ठहर गया था

Curiosités sur la chanson Khalaaon Mein Tairate Jazeeron Mein de Gulzar

Qui a composé la chanson “Khalaaon Mein Tairate Jazeeron Mein” de Gulzar?
La chanson “Khalaaon Mein Tairate Jazeeron Mein” de Gulzar a été composée par GULZAR.

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