Sunehari Koonje Jab

GULZAR

सुनहरी कूंजे जब उड़ते उड़ते
उफ़ुक़ की टहनी पे बैठ जाए
तुम्हारे कंधो पे झुक के
जब शाम बो सा लेले
चराओ खोलें जब
अपनी मधम उदास आँखे
तुम अपने चेहरे पे खिंच लेना हया का आँचल
मै हौले हौले मना के आँचल उतार लूंगा
तुम्हारे होठों के ठंडे ठंडे ये गुलाब
आँखों पे रख के मै
रात को सुनाऊंगा फिर उसी नींद की कहानी
वो नींद जो जाग के मिली थी तुम्हारे आगोश के सुकु में

Curiosités sur la chanson Sunehari Koonje Jab de Gulzar

Qui a composé la chanson “Sunehari Koonje Jab” de Gulzar?
La chanson “Sunehari Koonje Jab” de Gulzar a été composée par GULZAR.

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