Day Am Pada Hua Tere Dar Par Nahin Hoon Main
दायां पड़ा हुआ
तेरे दर पर नहीं हूँ मैं
दायां पड़ा हुआ
तेरे दर पर नहीं हूँ मैं
हा कैसी ज़िंदगी पे के
पत्थर नही हूँ मैं
दायां पड़ा हुआ
या रब ज़माना मुझा को
मिटा-ता हैं किस लिए
या रब..या रब..या रब..
या रब ज़माना मुझा को
मिटा-ता हैं किस लिए
लो फिर जहाँ पे हरफे मुक़द्दर
नही हूँ मैं
लो फिर जहाँ पे हरफे मुक़द्दर
नही हूँ मैं
दायां पड़ा हुआ
क्यूँ गर्दिशे मक़ाम से
घभरा ना जाए दिल
क्यूँ..क्यूँ…क्यूँ
क्यूँ गर्दिशे मक़ाम से
घभरा ना जाए दिल
इंसान हूँ पीयाला सागर
नही हूँ मैं
इंसान हूँ पीयाला सागर
नही हूँ मैं
दायां पड़ा हुआ
हद चाहिए सज़ा
मैं हुक़ूमत के वास्ते
हद चाहिए
हद चाहिए सज़ा
हद चाहिए सज़ा
मैं हुक़ूमत के वास्ते
आख़िर घुनाहगार हूँ
काफिे नही हूँ मैं
आख़िर घुनाहगार हूँ
काफिे नही हूँ मैं
दायां पड़ा हुआ
तेरे दर पर नहीं हूँ मैं
दायां पड़ा हुआ
तेरे दर पर नहीं हूँ मै