Kaash

0 Hariharan

काश ऐसा कोई मंज़र होता
काश ऐसा कोई मंज़र होता
मेरे काँधे पे तेरा सर होता
काश ऐसा कोई मंज़र होता
मेरे काँधे पे तेरा सर होता
काश ऐसा कोई मंज़र होता

जमा करता हुआ जो मैं आये हुए संग
जमा करता हुआ जो मैं आये हुए संग
सर छुपाने के लिए घर होता
सर छुपाने के लिए घर होता
मेरे काँधे पे तेरा सर होता
काश ऐसा कोई मंज़र होता

इस बलंदी पे बोहोत तन्हा हूँ
तन्हा हूँ
बोहोत तन्हा हूँ
तन्हा हूँ, तन्हा हूँ
इस बलंदी पे बोहोत तन्हा हूँ
काश मैं सब के बराबर होता
काश मैं सब के बराबर होता
मेरे काँधे पे तेरा सर होता
काश ऐसा कोई मंज़र होता

उसने उलझा दिया दुनिया में मुझे
उसने उलझा दिया दुनिया में मुझे
वरना एक और कलंदर होता
वरना एक और कलंदर होता
मेरे काँधे पे तेरा सर होता
काश ऐसा कोई मंज़र होता
मेरे काँधे पे तेरा सर होता
काश ऐसा कोई मंज़र होता
काश

Curiosités sur la chanson Kaash de Hariharan

Sur quels albums la chanson “Kaash” a-t-elle été lancée par Hariharan?
Hariharan a lancé la chanson sur les albums “Best Of Me: Hariharan” en 2013 et “Kaash” en 2013.
Qui a composé la chanson “Kaash” de Hariharan?
La chanson “Kaash” de Hariharan a été composée par 0 Hariharan.

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