Raat Khamosh Thi

HARIHARAN, MUMTAZ RASHID

रात खामोश थी गुनगुनाते रहे
रात खामोश थी गुनगुनाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
अजनबी था मैं अपना बनाते रहे
अजनबी था मैं अपना बनाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
रात खामोश थी गुनगुनाते रहे

कोई साथी कोई हमसफर ना मिला
शहर अनजान था उसका घर ना मिला
कोई साथी कोई हमसफर ना मिला
शहर अनजान था उसका घर ना मिला
पास आते रहे दूर जाते रहे
पास आते रहे दूर जाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
रात खामोश थी गुनगुनाते रहे

सूनी आँखों में कांटे खटकते रहे
दर्द सीने में लेके भटकते रहे
सूनी आँखों में कांटे खटकते रहे
दर्द सीने में लेके भटकते रहे
रात भर तेरी बातें सुनाते रहे
रात भर तेरी बातें सुनाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
रात खामोश थी गुनगुनाते रहे

उसकी साँसों की गर्मी फजाओं में थी
उसकी जुल्फों की खुशबू हवाओं में थी
उसकी साँसों की गर्मी फजाओं में थी
उसकी जुल्फों की खुशबू हवाओं में थी
हम भी शेरों मे राशिद सजाते रहे
हम भी शेरों मे राशिद सजाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
रात खामोश थी गुनगुनाते रहे
रात खामोश थी गुनगुनाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
अजनबी था मैं अपना बनाते रहे
अजनबी था मैं अपना बनाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
रात खामोश थी गुनगुनाते रहे

Curiosités sur la chanson Raat Khamosh Thi de Hariharan

Quand la chanson “Raat Khamosh Thi” a-t-elle été lancée par Hariharan?
La chanson Raat Khamosh Thi a été lancée en 1997, sur l’album “Jashn”.
Qui a composé la chanson “Raat Khamosh Thi” de Hariharan?
La chanson “Raat Khamosh Thi” de Hariharan a été composée par HARIHARAN, MUMTAZ RASHID.

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