Subah Ke Dhoop Si

NIDA FAZLI, LALIT SEN

सुबह की धूप सी शाम के रूप सी मेरी साँसों में थी
जिसकी परछाईया देख कर तुमको लगता है तुम हो वहीं
सोचती थी जिसे मेरी तन्हाईया
था तुम्हारा ही मुझे इंतजार
था तुम्हारा ही मुझे इंतजार
हाँ इंतजार

धूप में छाँव सी शहर में गाँव सी मेरी राहों में थी
जिसकी परछाईया देख कर तुमको लगता है तुम हो वहीं
सोचती थी जिसे मेरी तन्हाईयाँ
था तुम्हारा ही मुझे इंतजार
था तुम्हारा ही मुझे इंतजार
हाँ इंतजार

हो.. जब तुम गम थी
तब भी तुम थी
जितना मै था उतनी तुम थी

हो…. दूर थे जब तुम पास थे ऐसे
नींद से झांके सपना जैसे
कोई जाना अपना जैसे हहह

सुबह की धूप सी शाम के रूप सी
मेरी राहों में थी जिसकी परछाईया
देख कर तुमको लगता है तुम हो वहीं
सोचती थी जिसे मेरी तन्हाईया
था तुम्हारा ही मुझे इंतजार
था तुम्हारा ही मुझे इंतजार है इंतजार

पंछी जगे मंजर डोले
घर के छुप छुप हाँ कोने बोले

लेकर तुमसे रूप सुनहरा
धुला अँधेरा सजा सवेरा
हर दर्पण में हो एक ही चेहरा

धूप में छाँव सी शहर में गाव सी
मेरी राहों में थी जिसकी परछाईया
देख कर तुमको लगता है तुम हो वहीं

सोचती थी जिसे मेरी तन्हाईया
था तुम्हारा ही मुझे इंतजार

था तुम्हारा ही मुझे
इंतजार है इंतजार

सुबह की धूप सी शाम के रूप सी
मेरी साँसों में थीजिसकी परछाईया
सुबह की धूप सी शाम के रूप सी
मेरी साँसों में थी जिसकी परछाईया

Curiosités sur la chanson Subah Ke Dhoop Si de Hariharan

Qui a composé la chanson “Subah Ke Dhoop Si” de Hariharan?
La chanson “Subah Ke Dhoop Si” de Hariharan a été composée par NIDA FAZLI, LALIT SEN.

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