Ghazal Ka Saaz Uthao

Firaq Gorakhpuri, Jagjit Singh

ग़ज़ल का साज़ उठाओ बड़ी उदास है रात
ग़ज़ल का साज़ उठाओ बड़ी उदास है रात
नवा-ए-मीर सुनाओ बड़ी उदास है रात
ग़ज़ल का साज़ उठाओ बड़ी उदास है रात

कहें न तुमसे तो फिर और किससे जाके कहें
कहें न तुमसे तो फिर और किससे जाके कहें
सियाह ज़ुल्फ़ के सायों बड़ी उदास है रात
ग़ज़ल का साज़ उठाओ बड़ी उदास है रात

सुना है पहले भी ऐसे में बुझ गए हैं चराग़
सुना है पहले भी ऐसे में बुझ गए हैं चराग़
दिलों की ख़ैर मनाओ बड़ी उदास है रात
ग़ज़ल का साज़ उठाओ बड़ी उदास है रात

दिये रहो यूँ ही कुछ देर और हाथ में हाथ
दिये रहो यूँ ही कुछ देर और हाथ में हाथ
अभी ना पास से जाओ बड़ी उदास है रात
ग़ज़ल का साज़ उठाओ बड़ी उदास है रात

Curiosités sur la chanson Ghazal Ka Saaz Uthao de Jagjit Singh

Quand la chanson “Ghazal Ka Saaz Uthao” a-t-elle été lancée par Jagjit Singh?
La chanson Ghazal Ka Saaz Uthao a été lancée en 2004, sur l’album “Ghazal Ka Saaz Uthao”.
Qui a composé la chanson “Ghazal Ka Saaz Uthao” de Jagjit Singh?
La chanson “Ghazal Ka Saaz Uthao” de Jagjit Singh a été composée par Firaq Gorakhpuri, Jagjit Singh.

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