Kisko Qatil Main Kahoon

AHMED NADEEM QASMI, JAGJIT SINGH

किस को कातिल मैं कहूँ किस को मसीहा समझूँ
किस को कातिल मैं कहूँ किस को मसीहा समझूँ
सब यहाँ दोस्त ही बैठ हैं किसे क्या समझूँ
सब यहाँ दोस्त ही बैठ हैं किसे क्या समझूँ

वो भी क्या दिन थे के हर वहम यकीं होता था

वो भी क्या दिन थे के हर वहम यकीं होता था
अब हक़ीकत नज़र आए तो उसे क्या समझूँ
अब हक़ीकत नज़र आए तो उसे क्या समझूँ
सब यहाँ दोस्त ही बैठ हैं किसे क्या समझूँ

दिल जो टूटा तो कई हाथ दुआ को उठे

दिल जो टूटा तो कई हाथ दुआ को उठे
ऐसे माहौल में अब किस को पराया समझूँ
ऐसे माहौल में अब किस को पराया समझूँ

जुल्म ये है के है यक़्ता तेरी बेगानारवी

जुल्म ये है के है यक़्ता तेरी बेगानारवी
लुत्फ ये है के मैं अब तक तुझे अपना समझूँ
लुत्फ ये हैं के मैं अब तक तुझे अपना समझूँ
किस को कातिल मैं कहूँ किस को मसीहा समझूँ
सब यहाँ दोस्त ही बैठ हैं किसे क्या समझूँ

Curiosités sur la chanson Kisko Qatil Main Kahoon de Jagjit Singh

Sur quels albums la chanson “Kisko Qatil Main Kahoon” a-t-elle été lancée par Jagjit Singh?
Jagjit Singh a lancé la chanson sur les albums “Kisko Qatil Main Kahoon” en 2004 et “Shukrana- 70 Soulful Songs "ghazals"- Vol 3” en 2011.
Qui a composé la chanson “Kisko Qatil Main Kahoon” de Jagjit Singh?
La chanson “Kisko Qatil Main Kahoon” de Jagjit Singh a été composée par AHMED NADEEM QASMI, JAGJIT SINGH.

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