KAMAAL YEH HAI

Kuldip Singh, Jaswinder Singh, Mubaraik Siddiqi

ख़िज़ां की रुत में गुलाब लेहजा बना के रखना - कमाल ये है
हवा का ज़द में दीया जलाना, जला के रखना - कमाल ये है

ज़रा सी लग़ज़िश पे तोड़ देते हैं सब ताल्लुक़ ज़माने वाले
सो - ऐसे वैसों से भी ताल्लुक़, बना के रखना - कमाल ये है

किसी को देना ये मशवरा, कि वो दुःख बिछड़ने का भूल जाए
और ऐसे लम्हे में अपने आँसू , छुपा के रखना - कमाल ये है

किसी की राह से ख़ुदा की ख़ातिर उठा के काँटे, हटा के पत्थर
फिर उस के आगे निगाह अपनी झुका के रखना - कमाल ये है

वो जिस को देखे, दुख का लश्कर भी लड़खड़ाए, शिकस्त खाए
लबों पे अपनी वो मुस्कुराहट सजा के रखना - कमाल ये है

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