Chand Ke Pare [Sad]
Hasmukh Gandhi
हो ओ ओ ओ ओ
सामने है मंजिल पर
फासले बड़े है
ओ ओ ओ ओ
सामने है मंजिल पर
फासले बड़े है
पैरों में न जाने कितने
भंवर पड़े है
अंत के बाद शुरुवात खड़ी है (आ आ आ)
चांद के परे एक रात खड़ी है (चांद के परे एक रात खड़ी है)