Jurmana

Kaifi Khalil, Ain Ray A

ऐ शख्स तेरा जाना
मुश्किल है समझाना
मरने से भी बत्तर है
एहसास का मर जाना
चल दे दे मुझे हर ग़म
हर जुर्म का जुर्माना
चल दे दे मुझे हर ग़म
हर जुर्म का जुर्माना
मुनाफिक़ ज़माना
तेरा तलबगार है
तन्हा तेरी ज़िंदगी है
तू भी अदाकार है
तू भी अदाकार है
जाते हुए तुम जाना
ये शमा बुझा जाना
चल दे दे मुझे हर ग़म
हर जुर्म का जुर्माना
चल दे दे मुझे हर ग़म
हर जुर्म का जुर्माना

ये हवा की तेज़ी में कौन था
ये गुबार कौन उड़ा गया
मेरा दिल तो मिस्ले चिराग़ था
सरे शाम कौन बुझा गया
मेरे रास्तों में कई मोड़ थे
कहीं गिर संभल के मैं आ गया
वह जो सुबह से था मेरा मुंतज़िर
हुई शाम वह भी चला गया
हुई शाम वह भी चला गया
इनकार से आगे है है
इज़हार का ठम जाना
इनकार से आगे है है
इज़हार का ठम जाना
चल दे दे मुझे हर ग़म
हर जुर्म का जुर्माना
चल दे दे मुझे हर ग़म
हर जुर्म का जुर्माना
ऐ शख्स तेरा जाना
मुश्किल है समझाना
मरने से भी बत्तर है
एहसास का मर जाना
चल दे दे मुझे हर ग़म
Hmm.. हो हो हो

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