Sach Pucho To Naari
मेहँदी टुटी पीसी छनि
घुली रचि तब रंग लाल हुआ
औरत का भी इस दुनिया में
मेहँदी जैसा हाल हुआ
सच पूछो तो नारी जीवन
एक मेहँदी का बूटा है
एक मेहँदी का बूटा है
सच पूछो तो नारी जीवन (आ आ)
एक मेहँदी का बूटा है
एक मेहँदी का बूटा है
कदम कदम पर इस अबला को
हर रिश्ते ने लूटा है (आ आ)
हर रिश्ते ने लूटा है
सच पूछो तो नारी जीवन
एक मेहँदी का बूटा है
एक मेहँदी का बूटा है
आ आ आ
आ आ
टूट ना जाये चुडिया इसकी (आ आ)
मांग ना सुनी हो जाये (आ आ)
अपना धरम निभाने को
चुप चाप चली है ये हाय
मेहँदी की लाली का नारि (आ आ)
कैसा मोल चुकाती है (आ आ)
अपनी अर्थी को जीते जी
अपने आप उठती है
इसका कोई दोष नहीं पर
भाग्य ही इसका फूटा है
आ आ
कदम कदम पर इस अबला को
हर रिश्ते ने लूटा है (आ आ)
हर रिश्ते ने लूटा है
सच पूछो तो नारी जीवन (आ आ)
एक मेहँदी का बूटा है
एक मेहंदी का बूटा है
गंगा जल सी पावन है (आ आ)
पर किस किस को समझाएगी (आ आ)
हर खिडकी हर दरवाजे से
एक उंगली उठ जाएगी
सीता बन कर भी नारी को (आ आ)
चैन मिला ना जीवन भर (आ आ)
बाहर है रावण की चिंता
और घर में है राम का दर
इसकी लाज तो बच गयी पर
विश्वास का दर्पण टुटा है
आ आ आ
कदम कदम पर इस अबला को
हर रिश्ते ने लूटा है (आ आ)
हर रिश्ते ने लूटा है
सच पूछो तो नारी जीवन (आ आ)
एक मेहँदी का बूटा है
एक मेहँदी का बूटा है
एक मेहँदी का बूटा है
एक मेहँदी का बूटा है