Pyar Ka Farz Nibhane Ke Liye

S. H. Bihari

प्यार का फ़र्ज़ निभाने के लिए आए हैं
आखरी गीत सुनने के लिए हैं
प्यार का फ़र्ज़ निभाने के लिए आए हैं
आखरी गीत सुनने के लिए हैं
आखरी गीत सुनने के लिए हैं
प्यार का फ़र्ज़ निभाने के लिए आए हैं
आखरी गीत सुनने के लिए हैं

शम्मा जो हुँने झलाई
कभी पॅल्को तले
शम्मा जो हुँने झलाई
कभी पॅल्को तले
कैसे हो जाके
किसी और की महफ़िल में झाले
हम उसे दिल्में
झलने के लिए आए हैं
आखरी गीत सुनने के लिए हैं

वो तेरी माँग
जिसे प्यार से चूमा हैं कभी
वो तेरी माँग
जिसे प्यार से चूमा हैं कभी
अपनी चाहत की मोहर
जिस पे लगाए हैं कहीं
हम वहीं माँग
सज़ा ने के लिए आए हैं
आखरी गीत सुनने के लिए हैं

जाने जाती हैं हुमारी तो
चली जाए मगर
हुमको मंज़ूर नहीं हैं
ये किसी कीमत पर
कारवाँ उस मोड़ पे लूटा जाए
ख़त्म होता हो जहाँ
प्यार की मंज़िल का सफ़र
तुझको सीने से
लगाने के लिए आए हैं
तुझको सीने से
लगाने के लिए आए हैं
आखरी गीत
आखरी गीत सुनने के लिए हैं

Curiosités sur la chanson Pyar Ka Farz Nibhane Ke Liye de Mohammed Aziz

Qui a composé la chanson “Pyar Ka Farz Nibhane Ke Liye” de Mohammed Aziz?
La chanson “Pyar Ka Farz Nibhane Ke Liye” de Mohammed Aziz a été composée par S. H. Bihari.

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