Kehne Ki Baat
कहने की बात हैं के
बहारों से हम मिले
कहने की बात हैं के
बहारों से हम मिले
फूलो के आसपास ही
फूलो के आसपास ही
कांतो के घूम मिले
कहने की बात हैं के
बहारों से हम मिले
यादो की सर ज़मीन पे
ज़ख़्मो की शक्ल में
यादो की सर ज़मीन पे
ज़ख़्मो की शक्ल में
बिच्छड़ी हुई हयात के
बिच्छड़ी हुई हयात के
नक्शे कदम मिले
कहने की बात हैं के
बहारों से हम मिले
महकी हुई शहेर की तरह
आए तुम मगर
महकी हुई शहेर की तरह
आए तुम मगर
जलते हुए ख़याल की
मालिनद हम मिले
कहने की बात है के
बहारों से हम मिले
अब के तुम्हारे शहेर में
यूँ ज़िंदगी मिल्ली
अब के तुम्हारे शहेर में
यूँ ज़िंदगी मिल्ली
जैसे कोई मुसाफिरे
जैसे कोई मुसाफिरे
दस्ते आदम मिले
कहने की बात हैं के
बहारों से हम मिले
फूलो के आसपास ही
फूलो के आसपास ही
कांतो के घूम मिले
कहने की बात हैं के
बहारों से हम मिले
कहने की बात हैं के
बहारों से हम मिले