Rafta Rafta

Pankaj Udhas

गुस्से से उठा चले हो तुम
दामन को झाड़ कर
जाते रहेंगे हम भी
ग़रेबान फाड़ कर
दिल वो नगर नही के फिर
आबाद हो सके
पचहताओगे सुनो हो
ये बस्ती उजड़ कर

ज़ालिम ये क्या निकली
रफततार रफ़्ता रफ़्ता
ज़ालिम ये क्या निकली
रफततार रफ़्ता रफ़्ता
इश्स चाँद पर चलेगी
तवार रफ़्ता रफ़्ता
ज़ालिम ये क्या निकली
रफततार रफ़्ता रफ़्ता

हर आन हुमको तुझ बिन
एक एक बरस हुई हैं
हर आन हुमको तुझ बिन
एक एक बरस हुई हैं
क्या आ गया ज़माना
आए यार रफ़्ता रफ़्ता
ज़ालिम ये क्या निकली
रफततार रफ़्ता रफ़्ता

ये ही सुलूक उसके
अक्सर चले गये तो
ये ही सुलूक उसके
अक्सर चले गये तो
बैठे ये अपने घर हम
ना चाह रफ़्ता रफ़्ता
ज़ालिम ये क्या निकली
रफततार रफ़्ता रफ़्ता

थे एक हम में
दोनो सो ईतेहाड़ कैसा
थे एक हम में
दोनो सो ईतेहाड़ कैसा
हर बात पर अब आई
तकरार रफ़्ता रफ़्ता
ज़ालिम ये क्या निकली
रफततार रफ़्ता रफ़्ता
इश्स चाँद पर चलेगी
तवार रफ़्ता रफ़्ता
ज़ालिम ये क्या निकली
रफततार रफ़्ता रफ़्ता

Curiosités sur la chanson Rafta Rafta de Pankaj Udhas

Quand la chanson “Rafta Rafta” a-t-elle été lancée par Pankaj Udhas?
La chanson Rafta Rafta a été lancée en 2008, sur l’album “Rukhsaar”.

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