Rang Rangeeli

Divya Kumar

ये सुनेहरा दिन जैसे
सोना बिखरा हो चारो और
दूर कहीं मंदिर की घंटी
सुनके मन हो जाए विभोर

कहीं गुरु वाणी है
कहीं भजन है
कहीं बुद्धा वाणी
हर पंथ के भोर

प्रेम तो लैला है
प्रेम तो मजनू है
प्रेम तो हीर है
प्रेम तो रांझा है

प्रेम तो सोहनी है
प्रेम तो महिबल है

बेहक बेहक बादल उड़े
चमक छनक पूरावा चले
बेहक बेहक बादल उड़े
चमक छनक पूरावा चले

सतरंगी है देश मेरा
सतरंगी मोहे पिया मिले
चारों धाम मैने यहीं है पाये
प्रेम की बोली से कोई बुलाए

रंग रंगीली हो गयी मैं
नई नवेली हो गयी मैं
रंग रंगीली हो गयी मैं
नई नवेली हो गयी मैं

रंग रंगीली हो गयी मैं
नई नवेली हो गयी मैं

तेरे मेरे दिलों पे
प्रेम का रंग बरस रहा
जैसे रंग कृष्णा का
राधा पे बरस रहा

घाँट घाँट तेरा नाम लिखूँ
जोगी जुग घनश्याम लिखूँ

रंग रंगीली हो गयी मैं
नई नवेली हो गयी मैं
रंग रंगीली हो गयी मैं
नई नवेली हो गयी मैं

रंग रंगीली हो गयी मैं
नई नवेली हो गयी मैं

जनम जनम तेरे संग
ये प्रेम तीर्थ चलता रहे
जैसे गंगा है पावन
तेरा मेरा नाता रहे

तुझे ही माँगा श्री राम से
छूटे ना तू मेरी जान से

रंग रंगीली हो गयी मैं
नई नवेली हो गयी मैं
रंग रंगीली हो गयी मैं
नई नवेली हो गयी मैं

रंग रंगीली हो गयी मैं
नई नवेली हो गयी मैं
रंग रंगीली हो गयी मैं
नई नवेली हो गयी मैं

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