Bahut Kathin Din Beetay

ZULFQAR ALI, AJIT KUMAR SINHA

बहुत कैथीन दीन बीताये
बहुत कैथीन दीन बीताये
रात गई तारों को जिन के
दिन भी नीरस बीते
बहुत कैथीन दीन बीते

लिपट अकेला मानव
दिल का हाल ना जाने कोई
आँखों के सब अंशु सुखे
प्रेम दोर हैं खोई खोई
आज हम ना डरे कुछ भी
हर आशा है सोइ
एक अरमान हरे हैं
भेद भाव हैं जीते
बहुत कैथीन दीन बीते

तेरा रूप मुझे भरमाये
करता है आकर्षित
मन करता है ध्यान तुमें
जीवन से बस्म समेट लूं
लेकिन ये मन साथ न पाए
चिंताओ से चिंता
साथ तुम्हारा कब होगा
कब भागी परमीते
बहुत कैथीन दीन बीताये
बहुत कैथीन दीन बीताये
रात गई तारों को जिन के
दिन भी नीरस बीते
बहुत कठिन दीन बीते

तुम मेरा सर्वस्व तुम्हारी हो
मेरा तन मन जीवन
तेरे लिए साजा रखा है
अंतर तन में उपमन्यु
आओगे तो कल्याण खिलकर
भर देंगे मान मधुवनी
कट जाएंगे कश्त रोज के
मदीरा पीठे
बहुत कैथीन दीन बीते

Curiosités sur la chanson Bahut Kathin Din Beetay de Roop Kumar Rathod

Qui a composé la chanson “Bahut Kathin Din Beetay” de Roop Kumar Rathod?
La chanson “Bahut Kathin Din Beetay” de Roop Kumar Rathod a été composée par ZULFQAR ALI, AJIT KUMAR SINHA.

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