Dil Machalta Rahe

Obaid Khan

दिल मचलता रहे

दिल मचलता रहे आशिकी के लिए
और क्या चाहिए ज़िन्दगी के लिए
दिल मचलता रहे आशिकी के लिए
और क्या चाहिए ज़िन्दगी के लिए
दिल मचलता रहे

आ आ आ आ

आ आ आ आ

इन नशीली निगाहों की तुझको कसम
इन गुलाबी लबों से पिला दो सनम

इन नशीली निगाहों की तुझको कसम
इन गुलाबी लबों से पिला दो सनम

फिर न जाऊं कहीं

फिर न जाऊं कहीं मैकशी के लिए
और क्या चाहिए ज़िन्दगी के लिए
दिल मचलता रहे

आ आ आ आ
आ आ आ आ

तेरी यादो में डूबा रहूँ इस कदर
के ज़माने की मुझको न हो कुछ खबर

तेरी यादो में डूबा रहूँ इस कदर
के ज़माने की मुझको न हो कुछ खबर

है मुनासिब यही

है मुनासिब यही बेखुदी के लिए
और क्या चाहिए ज़िन्दगी के लिए
दिल मचलता रहे आशिकी के लिए
और क्या चाहिए ज़िन्दगी के लिए
दिल मचलता रहे

आ आ आ आ

आ आ आ आ

Curiosités sur la chanson Dil Machalta Rahe de Roop Kumar Rathod

Quand la chanson “Dil Machalta Rahe” a-t-elle été lancée par Roop Kumar Rathod?
La chanson Dil Machalta Rahe a été lancée en 2016, sur l’album “Romantic Ghazals by Roop Kumar Rathod”.
Qui a composé la chanson “Dil Machalta Rahe” de Roop Kumar Rathod?
La chanson “Dil Machalta Rahe” de Roop Kumar Rathod a été composée par Obaid Khan.

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