Kab Se Main Hoon Khadi

Anand-Milind, Akhtar Javed

कब से मैं हूँ खड़ी बीच धरे
कब से मैं हूँ खड़ी बीच धरे
डोर नदियो के दोनो किनारे
कब से मैं हूँ खड़ी बीच धरे
डोर नदियो के दोनो किनारे
कब से मैं हूँ खड़ी बीच धरे

दर्द की सीडियों से उतार के
रास्ते ये मिले किस नगर के
धूप सपनो के पल को जलाए
पेड़ भी तो नही देते साए
ऐसे में कोई किसको पुकारे
डोर नदियो के दोनो किनारे
कब से मैं हूँ खड़ी बीच धरे

कहने वालो से मैने सुना है
इक सवालो का जंगल उगा है
रह तकता है कटे बिछाए
मॅन वही मुझे लेकर जाए
रह गये पीछे कही सांगी सहारे
डोर नदियो के दोनो किनारे
कब से मैं हूँ खड़ी बीच धरे
डोर नदियो के दोनो किनारे
कब से मैं हूँ खड़ी बीच धरे

Curiosités sur la chanson Kab Se Main Hoon Khadi de Sadhana Sargam

Qui a composé la chanson “Kab Se Main Hoon Khadi” de Sadhana Sargam?
La chanson “Kab Se Main Hoon Khadi” de Sadhana Sargam a été composée par Anand-Milind, Akhtar Javed.

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