Manzoor Hai

Shraddha Pandit

देखूँ मैं जिधर भी तू दिखे
ये नज़र तुझी पे क्यों रुके
इश्क़ की रवानी कह रही हाए
तेरे साथ चलना है मुझे
वो तमाम बातें तेरी
याद करती रातें मेरी
समझाऊँ कैसे तुझे
तेरी सभी शर्तें मंज़ूर हैं
मंज़ूर हैं
सारी शर्तें मंज़ूर हैं
है यही इल्तिजा मेरी
के जब तुम बनो मेरी
बस इस तरह मुझे चाहना तुम भी
तेरी सभी शर्तें मंज़ूर हैं

तेरा फ़ैसला मंज़ूर है
तेरा हर कहा मंज़ूर है
मंज़ूर है मंज़ूर है
बार हा
तू ख़ुदा मेरा तू ही नूर है
तेरा हर कहा मंज़ूर है
मंज़ूर है मंज़ूर है
हर दफ़ा
है यही इल्तिजा मेरी
के जब तुम बनो मेरी
बस इस तरह मुझे चाहना तुम भी

ज़ाहिर करूँ लफ़्ज़ों में
कैसे मैं सभी
ख्वाहिशात मेरी समझो
बिन कहे कभी
इज़्तिरार सा रेहता है
इख़्तियार सा खोता है
तुम ना मिलो जब कभी
तेरी सभी शर्तें मंज़ूर हैं
मंज़ूर हैं
सारी शर्तें मंज़ूर हैं

तेरा फ़ैसला मंज़ूर है
तेरा हर कहा मंज़ूर है
मंज़ूर है मुझे मंज़ूर है
बार हा
तू ख़ुदा मेरा तू ही नूर है
तू नूर है
तेरा हर कहा मंज़ूर है
मंज़ूर है
मंज़ूर है मंज़ूर है
हर दफ़ा
है यही इल्तिजा मेरी
के जब तुम बनो मेरी
बस इस तरह मुझे चाहना तुम भी
तू ख़ुदा मेरा तू ही नूर है
तेरा हर कहा मंज़ूर है
मंज़ूर है मंज़ूर है
हर दफ़ा
तेरी सभी शर्तें मंज़ूर हैं

Curiosités sur la chanson Manzoor Hai de Salim Sulaiman

Qui a composé la chanson “Manzoor Hai” de Salim Sulaiman?
La chanson “Manzoor Hai” de Salim Sulaiman a été composée par Shraddha Pandit.

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