Beda Paar
हो, छोड़ के चली मैं घर पिया-जी के साथ
नाम उनका ही बोले मेहँदी के हाथ
पल्लू आँखों तक आया, कैसे हो नज़रें चार?
सैया-जी संग है तो लगेगा बेड़ा पार, होये
हाँ पहना है सूट-बूट हमरा पिया
सातो जन्म का टिकट हे लिया
हो, अब इस सफ़र की हुई है शुरुआत
थामा इन्होने जब हाथों में हाथ
अंजानी सी डगर है ये जिया बेक़रार
सैया-जी संग है तो लगेगा बेड़ा पार, होये
हो, अंगना में पेड़ बहाँ होगा की नहीं?
होगा तो झूला उस पे, होगा की नहीं?
खर्राटे सैया-जी लेंगे तो नहीं
लेते होंगे तो सोने देंगे की नहीं?
काम पर जो जाए सैयां आये फिर रात
जब घर ना होंगे किस से करूंगी बात?
ये सारे ही सवाल मैं सोचु लगातार
सैया-जी संग है तो लगेगा बेड़ा पार, होये