Bhor Ki Sheetal Dhoop

Alimchand Prakash

बहता है पानी जब
खिलती है धूप जब
होती है मिट्टी में खुश्बू जब,
सिर्फ़ प्यार झलकता है
बाँटकर प्यार ही
बन जाएँगे हम, सिर्फ़ प्यार

भोर की शीतल धूप
जब दरिचों पर दे दस्तक
हन…भोर की शीतल धूप
जब दरिचों पर दे दस्तक
तुम उसे कमरे में बिच्छाना
रातभर जागकर मैने
उसमे अन्स का रंग घोला है
तुम उसे दीवारों पे सजाना
भोर की शीतल धूप
जब दरिचों पर दे दस्तक

बड़ा जश्न माना रहें हैं यह आब्रर आज
बड़ा जश्न माना रहें हैं यह आब्रर आज
मिल गयी है शायद मेघा की आने की खबर
फलक पर च्छा रही है बेताबियाँ
ज़मीन से होता एब्ब नही सबर
मिट्टी से आ रही है सौंधी खुश्बू
इन्न बूँदों को गले से लगाना
रातभर जागकर मैं
इनमें अन्स का रंग घोला है
तुम इन्हे गालों पे सजाना
भोर की शीतल धूप
जब दरिचों पर दे दस्तक

चल रही है गुफ्तगू कोई फूलों के बीच
चल रही है गुफ्तगू कोई फूलों के बीच
चोरी चोरी सुन रही है यह हवायें
बेखुद होकर गुण गुना रहें हैं पत्ते
बाघ में भारी है लाखों अदायें
महकती रहती है रूह इस कायानात की
इन्न हवाओ को साँसों में बसाना
रातभर जाग कर मैने
इनमे अन्स का रंग घोला है
तुम इन्हे दिल में उतारना
भोर की शीतल धूप
जब दरिचों पर दे दस्तक
तुम उसे कमरे में बिच्छाना
रातभर जागकर मैने
उसमे अन्स का रंग घोला है
तुम उसे दीवारों पे सजाना
भोर की शीतल धूप
जब दरिचों पर दे दस्तक
दे दस्तक, दे दस्तक

Curiosités sur la chanson Bhor Ki Sheetal Dhoop de Suresh Wadkar

Qui a composé la chanson “Bhor Ki Sheetal Dhoop” de Suresh Wadkar?
La chanson “Bhor Ki Sheetal Dhoop” de Suresh Wadkar a été composée par Alimchand Prakash.

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