Manmaani
हम्म हम्म हम्म
दिल की आदत है करता वो ज़्यादा कम कुछ ना लगे
अनकही बातें सुन लेता फिर झूठी कहानी लिखे
आँखिर यूँ डाटा, मैने इतना समझाया
दिल अब कुछ ना बोले
काली गहराई इतनी है भाई
दम तोड़े से तो ना छोड़े
तुम दिल को बोलो ना
ना इतना समझा करे
ऐसी क्या नाराज़ी?
खुद में ही उलझा रहे
तुम दिल को बोलो ना
ना इतना समझा करे
चुबती हो बातें अगर
ज़ाहिर करने से ना डरे
ऐसी क्या है मनमानी जो अनचाहा मोड़ चुने
झरने सा बहने का मन हो फिर भी दिल यूँ ठहरा रहे
बहने दो यादें, कड़वी सी बातें
मैं ना हर्ज़ करूँगी
पहेली से शब्दों, बिखरे जज़्बातों
को भी सुलझा दूँगी
बोलो ना खुलके
बातें जो दिल में
बोलो ना खुलके
बातें जो दिल में
बोलो ना खुलके
बातें जो दिल में
बोलो ना खुलके
बातें जो दिल में
ऐसी क्या नाराज़ी
खुद में ही उलझा रहे (उलझा रहे)
तुम दिल को बोलो ना
ना इतना समझा करे
चुबती हो बातें अगर
ज़ाहिर करने से ना डरे