Munasib
दिल जरा जरा है भरा भरा
हो रहा है क्या क्या पता
ये जमीं लगे आसमां हुई
जादू क्या है ये क्या पता
ऐसे तो कोई ख़ास बात है नहीं
तू है तो जिंदगी ये कीमती लगे
मिला तू लगा ये हाय
मुनासिब है इश्क का हो जाना
मुनासिब है इश्क का हो जाना
ये लो चबाओ
Height तो अच्छी हे तुम्हारी फिर सब नाटे नाटे क्यूँ कहते हे
१० वी तक बढ़ नई रहे थे फिर एकदम से बढ़ गये
तब तक लवनडे बुलाना चालू कर दिए थे
एक बात पूछे यार तुम अकेली रहती हो
वो सनमवा तुम्हे जिम्मितन बुलाता हे तुम हो कौन हाँ
नीलम नीलम
जानना ज़रूरी है
कुछ नई जानना वान्ना ह्म
क्या गलत है क्या सही है
दिल ये जानता नहीं है
एक धून चढ़ी जा रही
हसरते ये बावली सी
सोचती नही है कुछ भी
तुझ तक बढ़ी जा रही
तू मुझे जो आँख आँख भर के देखे
सब सही सही लगे मिला तू लगा ये हाय
मुनासिब है इश्क का हो जाना (मुनासिब है इश्क का हो जाना)