Banjarey
हारे हारे जागा था रे
जुगनू सा जलता बुझता था रे
खुद को पाने के बहाने
ढूंडे ख्वाबेन के ठिकाने
टूटा टूटा जो तारा रे
जुगनू सा जलता बुझता रे
नींदों से होकर है गुज़रा
बदले रातों के है नज़ारे
टूटा टूटा था जो तारा रे
ढूंडे ठिकाना रे
खोया खोया रहा सौ दफ़ा
अब जाकर खुद से मिला
टूटा टूटा था जो तारा रे
ढूंडे ठिकाना रे
काली काली खाली रातों को
च्छुकर गयी है सुबह है रे
च्छुकर गयी है सुबह है रे
पूरी हुई है दुआ रे
बंजाए पनो के
गेया रहे हैं लफ्ज़ तराने
तुमसे मिली है ये पनाह
तू बन गया है रहनुमा
तुमसे ही ंिईली है ये दुआएँ
ख्वाहइसों को जीने की
तुमसे कह रही है
ये सदाएं सुन रहा है तू मेरी
ओ ओ
ओ ओ